THE CHANGING SKYLINE
SHORT STORY : THE CHANGING SKYLINE
SUMMARY OF THE STORY IN ENGLISH
Arun Kumar grew up in a small village—where there were tall umbrella trees full of mysteries. His childhood was spent running in the fields with friends, walking on the footpaths and laughing and joking with friends in the simple routine of school. He kept a black dog to guard his house, whose friendship was with the birds of his house.
Time changed. For studies, he had to live in many changing cities. He never liked the glitz and glamour of that place and the lifestyle of his rich friends, yet he composed himself and completed his studies and got a government job in Lumoravil City. He formed a family, life moved forward but the village was left behind.
After retirement, he started serving in social work and also brought an AI robot home for his assistance and communication. One day, for work, he had to go to Prakashnagar -Vireliocity-, a smart city built near his village. Everything in the smart city was automated. When he reached there in a flying car, his memories were refreshed.
Now the identity of his native village Nabhapuram was reduced to mere technological infrastructure. When he reached his village, there was no longer his old house, nor the smell of the soil. A space observatory and museum had become the place of his memories.
No one in the village could recognize him. He told his AI robot, “Everything has changed, but my childhood is still alive in my soul.” This was the real identity of his existence.
DISCLAIMER
This story is fictional and meant solely for entertainment and educational purposes. The characters, places, and events depicted are not based on real individuals or occurrences. Any resemblance is purely coincidental. The views expressed are those of the author and do not intend to harm or misrepresent any person, place, group, or institution.
SUMMARY OF THE STORY IN HINDI:-
अरुण कुमार एक छोटे से गाँव में पले-बढ़े थे—जहाँ रहस्यों से भरे ऊँचे छतरीनुमा पेड़ थे। उनका बचपन दोस्तों के साथ खेतों में दौड़ते, पगडंडियों पर टहलते और स्कूल की साधारण दिनचर्या में दोस्तों के साथ हँसी-मज़ाक करते बीता। उन्होंने अपने घर की रखवाली के लिए एक काला कुत्ता रखा था, जिसकी दोस्ती उनके घर के पक्षियों से थी।
समय बदला। पढ़ाई के लिए उन्हें कई बदलते शहरों में रहना पड़ा। उन्हें उस जगह की चकाचौंध और अपने अमीर दोस्तों की जीवनशैली कभी पसंद नहीं आई, फिर भी उन्होंने खुद को संभाला और पढ़ाई पूरी की और लुमोराविल शहर में सरकारी नौकरी कर ली। उन्होंने परिवार बसाया, ज़िंदगी आगे बढ़ी लेकिन गाँव पीछे छूट गया।
सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने सामाजिक कार्यों में हाथ बँटाना शुरू कर दिया और अपनी सहायता और संचार के लिए एक एआई रोबोट भी घर ले आए। एक दिन, काम के सिलसिले में उन्हें अपने गाँव के पास बने एक स्मार्ट शहर, प्रकाशनगर -वरेलियोसिटी- जाना पड़ा। स्मार्ट शहर में सब कुछ स्वचालित था। जब वे वहाँ एक उड़ने वाली कार से पहुँचे, तो उनकी यादें ताज़ा हो गईं।
अब उनके पैतृक गाँव नभपुरम की पहचान सिर्फ़ तकनीकी ढाँचे तक सीमित रह गई थी। जब वे अपने गाँव पहुँचे, तो वहाँ न तो उनका पुराना घर था, न ही मिट्टी की खुशबू। एक अंतरिक्ष वेधशाला और संग्रहालय उनकी यादों का केंद्र बन गया था।
गाँव में कोई भी उन्हें पहचान नहीं पाया। उन्होंने अपने एआई रोबोट से कहा, "सब कुछ बदल गया है, लेकिन मेरा बचपन अभी भी मेरी आत्मा में ज़िंदा है।" यही उनके अस्तित्व की असली पहचान थी।
इस कहानी के कुछ रुचिकर संवाद:-
1. रोबोट (सिनेरो) ने थोड़ा नरम लेकिन दृढ़ स्वर में जवाब दिया, "मैं समझता हूँ कि तुम्हें अकेले जाने की इच्छा है, लेकिन मैं तुम्हें अकेला नहीं जाने दूंगा, मैं तुम्हारे साथ हर हाल में चलूंगा। मैं सिर्फ एक मशीन नहीं हूँ, मैं तकनीक में बहुत निपुण हो चुका हूँ और तुम्हारे हर कदम पर तुम्हारी सेहत और भावनाओं का पूरा ख्याल रखूँगा।"
2. “चलो अब उस जगह चलते हैं, जहाँ मेरी जड़ें हैं, और तुम्हारे साथ शायद मैं अपनी जड़ों को फिर से महसूस कर सकूँ।”
3. “सिनेरो,” मैंने कहा, “यहां के रोबोट्स से संपर्क बनाओ और पता लगाओ कि इस स्मार्ट सिटी की असली हालत क्या है—लोग कैसे जी रहे हैं।”
4. वह मुस्कराई—एक ऐसी मुस्कान, जो आंसुओं को निगल चुकी थी। "बेटा आया था… स्क्रीन पर। रोबोट ने फूल चढ़ाए। अब यही रिवाज़ है।"
5. “बेटा, यहाँ मेरा एक घर हुआ करता था... क्या तुम जानते हो, वह अब कहाँ है?”
उसने सिर झटकते हुए कहा, “नहीं मालूम... अपने रोबोट से पूछो।” और चल दिया।
6. “तुम टूटो मत,” उसने कहा। “तुम्हारी स्मृतियाँ जिंदा हैं, क्योंकि तुम उन्हें जीते हो। बाकी लोग भूल चुके हैं… पर तुम नहीं भूले। यही तुम्हारी ताकत है।”
DISCLAIMER:-
यह कहानी काल्पनिक है और इसका उद्देश्य केवल मनोरंजन एवं शिक्षाप्रद विचार प्रस्तुत करना है। इसमें वर्णित पात्र, स्थान और घटनाएँ वास्तविक जीवन की किसी भी व्यक्ति, स्थान या घटना से मेल नहीं खातीं। यदि कहानी में किसी भी तरह की समानता पाई जाए, तो वह मात्र संयोग है। कहानी में प्रस्तुत विचार और भावनाएँ लेखक के निजी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं और इसका किसी भी संगठन, व्यक्ति या समुदाय के प्रति कोई नकारात्मक अभिप्राय नहीं है।